बरसों सा बीता है पल, जब आप नहीं थे
उम्मीद का ढल गया कल, जब आप नहीं थे
ना फूल में थी खुश्बू, ना नरमी हवाओं में
उड़ चला हर स्वप्न दल, जब आप नहीं थे
ना प्रीत की स्याही, ना शब्दों का कारवां था
खामोश हो गई ग़जल, जब आप नहीं थे
हम भी थे बेज़ार कुछ ज़माने के करम से
ज़बीं पे पड़ गया बल, जब आप नहीं थे
हर ओर रोशनी थी, और बेनूर था जहां
हर नज़ारा गया छल, जब आप नहीं थे.........आशा गुप्ता 'आशु'
2 टिप्पणियां:
मन मंथन के भावों को शब्दों में पिरोने की अच्छी कोशिश है इसमें बहुत अच्छी लगी... खूबसूरत अल्फाज़.. ह्रदय की गहराईयों से आपको धन्यवाद आशु!!!!!
आपका भी तहे दिल सा शुक्रिया भाई जी...आपके शब्द मेरा मार्ग दर्शन करते हैं....सदा हौसला बनाये रखें मेरा ..
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