शनिवार, 5 दिसंबर 2020

चाय के बहाने

चाय के बहाने
जब बुलाया था तुमने 
अनजाने ही जैसे कोई 
रिश्ता निभाया था तुमने 
कप में उड़ेली थी जब 
सस्नेह भावों की धार 
मन अभिभूत हुआ पा के 
तुममें भाई का प्यार.. आशु 

मंगलवार, 12 मई 2020

प्रीत की बीन


अटक गई ज़िन्दगी


न हंसने की चाह


रिक्त पड़े मन में


इंतज़ार मेरा


मां की दुआओं में


दर्द गूंजता है


कजरी की सुरताल

काव्य झलक


बरस रहा है नेह


प्रेम आभास


जालिम हूं..


ख्वाब ज़िंदा हैं मुझमें


भावों की व्यथा