भावों के गर्भ से निकलती मेरी रचनाएं जब मुझसे बात करती हैं, तब वो एक कविता, ग़ज़ल या शायरी बन जाती है। कभी कुछ सोच के नहीं लिखा, जो लिखा दिल से, दिल के लिए, दिल ने लिखा।......लिखना सहज नदी की तरह मेरे भीतर सदा प्रवाहित होती रहती है.....शब्द के छींटे काग़जों पर पड़ते हैं बस इतना ही।
सोमवार, 19 अगस्त 2013
रविवार, 11 अगस्त 2013
प्यास
अधूरी ज़िन्दगी हो जिसकी, अधूरी प्यास होती है
उजालों के लिए, तड़पने को हर एक सांस होती है
कई सपने नित आँखों में मेरे करवट बदलते हैं
कई टूटे हुए किनारों में, मिलन की आस होती है
निभाया भी जाता है, बिना मिल के भी रिश्तों को
अहसासों में लिपटी,...... ये निस्बत खास होती है
कदम दर कदम दो साथ....... यही बहुत है साहिब
तेरे साथ का दिन गुलज़ार, रात मधुमास होती है
सुकून मिल जाए तो ये जीवन कोहिनूर हो जाए
तरसती प्यार को ज़िन्दगी, गले का फांस होती है......आशा गुप्ता आशु
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