भावों के गर्भ से निकलती मेरी रचनाएं जब मुझसे बात करती हैं, तब वो एक कविता, ग़ज़ल या शायरी बन जाती है। कभी कुछ सोच के नहीं लिखा, जो लिखा दिल से, दिल के लिए, दिल ने लिखा।......लिखना सहज नदी की तरह मेरे भीतर सदा प्रवाहित होती रहती है.....शब्द के छींटे काग़जों पर पड़ते हैं बस इतना ही।
5 टिप्पणियां:
very nice
http://ajmernama.com/guest-writer/110967/
वाह्ह बहुत खूब।
आलोचनात्मक टिप्पणी के लिये हार्दिक स्वागत :)
हार्दिक स्वागत
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