भावों के गर्भ से निकलती मेरी रचनाएं जब मुझसे बात करती हैं, तब वो एक कविता, ग़ज़ल या शायरी बन जाती है। कभी कुछ सोच के नहीं लिखा, जो लिखा दिल से, दिल के लिए, दिल ने लिखा।......लिखना सहज नदी की तरह मेरे भीतर सदा प्रवाहित होती रहती है.....शब्द के छींटे काग़जों पर पड़ते हैं बस इतना ही।
2 टिप्पणियां:
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 09/08/2019 की बुलेटिन, "काकोरी कांड के सभी जांबाज क्रांतिकारियों को नमन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
वाह बहुत खूब।
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