रविवार, 11 अगस्त 2013

प्यास


अधूरी ज़िन्दगी हो जिसकी, अधूरी प्यास होती है
उजालों के लिए, तड़पने को हर एक सांस होती है

कई सपने नित आँखों में मेरे करवट बदलते हैं 
कई टूटे हुए किनारों में, मिलन की आस होती है

निभाया भी जाता है, बिना मिल के भी रिश्तों को
अहसासों में लिपटी,...... ये निस्बत खास होती है

कदम दर कदम दो साथ....... यही बहुत है साहिब
तेरे साथ का दिन गुलज़ार, रात मधुमास होती है

सुकून मिल जाए तो ये जीवन कोहिनूर हो जाए
तरसती प्यार को ज़िन्दगी, गले का फांस होती है......आशा गुप्ता आशु

गुरुवार, 24 जनवरी 2013



प्रिय ...........
प्यार के शाब्दिक अर्थ में
तुम मुझे नहीं पाओगे
विश्वास में पलने वाली मैं,
कब तक आजमाओगे

हंसने-रोने और पाने-खोने से
मैं ऊपर आ गई हूँ
इन सबके सितम से अब
दिल को ना दुखा पाओगे

जिस चिराग से रौशन है 
दिल का दरबार मेरा
उम्मीद के इस शम्मा को
हरगिज ना बुझा पाओगे

भले ही याद नहीं तुमको
अपनी ही नूरानी बातें
पर रूह की आवाज़ को
तुम कैसे दबा पाओगे

लौटती हुई सदाएँ मेरी
मेरा एतबार बढ़ा देती हैं
मेरे इस विस्तार को 
तुम कैसे घटा पाओगे

फूल-कांटे, शोला औ शबनम में
हर जगह तुमको देखा है
एहसास का समन्दर है यहाँ
कितनी बूंदों को गिन पाओगे......आशा गुप्ता 'आशु'